इतनी भी क्या जल्दी थी?
- Prasanna Kumar Pattanayak
- Jun 18, 2023
- 1 min read
इतनी भी क्या जल्दी थी?
तो दोस्ती क्यों की?
थोडा दूर और साथ चलते,
रास्ता तो अभी बहुत बाकी हैं।
कुछ गलती हो गई थी,
माफ तो कर सकते थे।
साथ ही छोड़ दिया…
दो गाली तुम देते,दो गाली हम देते
पर इसी बहाने गले तो मिल लेते।
माना अभी छक्के चौके
नहीं मार सकते,
पर बल्ला तो घुमा लेते।
तेरे स्पिन बॉलिंग से बीट
होकर बोल्ड हो जाते।
फिर साथ में चाय पीते,
एक गिलास चाय और बिस्किट का मजा लेते।
इतनी भी क्या जल्दी थी?
फिर से पैसे इकट्ठा कर,
फर्स्ट डे फर्स्ट शो देख लेते।
कुछ बच जाते तो
एक चाट में दो चम्मच
के साथ टेस्ट कर लेते।
साइकिल पर डबल सवारी कर लेते,
कभी तुम, कभी हम
चला लेते और
डबल पेडलिंग की फिर से
कोशिश कर लेते।
इतनी भी क्या जल्दी थी?
अपनी जिम्मेदारी का बहाना
लेकर, मिले नहीं सालों से
पर मन से तुम्हें ढूंढते थे।
कभी कभी सपनों में
तुमको गले मिल लेते,
बातों में खो जाते हैं,
और उसकी भी बात करते थे।
फिर से स्कूल जाने के नाम से
एक दो राउंड मैच खेल लेते,
बारिश में भीग कर स्कूल से
छुट्टी करवा लेते,
इतनी भी क्या जल्दी थी?
अपनी जिम्मेदारियों में इतने बट गए
खुद के हिस्से में कुछ न था,
हर छुट्टी में तुम से मिलने की
मन में तमन्ना ले चलते थे।
पर रिश्तेदारी निभाने में ही
छुट्टीयां खत्म हो जाती थी।
फिर भी नाराज़गी जताने का,
ये कोई तरीका नहीं, ना रुठने का।
बहुत ही दूर चले गए..
इतनी भी जल्दी क्या थी?
पता नहीं कब छूटूंगा मैं,
पर तुझे राह तो देखनी पड़ेगी।
फिर से मिलेंगे
अब साथ ही चलेंगे
दोस्ती की और एक पारी खेलेंगे,
20/20 की नहीं, टेस्ट मैच की।
इतनी भी जल्दी क्या थी?

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